तुम्हें चांद तारो की जरूरत क्या है,
इन मौसमी बहारों की जरूरत क्या है
मेरे दुश्मन निभा रहे हैं मुझसे दुश्मनी बेहतर,
फिर दगाबाज यारों की जरूरत क्या है
मेरी कलम काफी है दुनिया में इंकलाब लाने को,
मुझे मंहगे हथियारों की जरूरत क्या है
तेरी मुस्कान काफी है इसके लुट जाने को,
इस दिल को बडे बाजारों की जरूरत क्या है
इक हमराह चाहिए जो मंजिल तक साथ दे,
मुझे राहबर हजारों की जरूरत क्या है
तू चुप रहे तो तेरी खामोशी बात करती है,
फिर इन कातिल इशारों की जरूरत क्या है