हां तो मेहरबान , कद्रदान और इंसान ! बहुत दिन से कुछ न कुछ लिखने की इच्छा हो रही थी मगर 15 सेकंड की रील के इस दौर में अब सैकड़ों शब्दों की बात लिखना बड़ा बेफिजूल सा लगता है । लिखते समय भी लगता है कि इतनी लंबी चौड़ी बात आखिर पढ़ेगा कौन !
पिछले दिनों जीवन का 28 वाँ जन्मदिन मनाया, पीछे पलट कर देखता हूं तो लगता है कुछ वर्ष हवा में उड़ गए हों । एक दम से ट्रांजिशन हो गया । अभी कुछ वक्त पहले तक तो यूट्यूब टिंडर का ऐड दिखा रहा था , पर कुछ दिनों से गौर कर रहा हूं कि शादी डॉट कॉम का ऐड आने लगा है । सामाजिक कार्यक्रमों में किसी से मिलता हूं तो कोई न कोई सयाना शादी ब्याह का विषय छेड़ ही देता है । आज के इस दौर में जहां प्रत्येक दिन देशभर से प्रेमी के साथ मिलकर विविध प्रकार से पति की हत्या किए जाने की खबर आम हो चुकी है , शादी जैसी व्यवस्था पर विश्वास कायम कर पाना बेहद कठिन है ।
हालांकि प्रेम में कई बार असफल हो जाने के बावजूद आज भी प्रेम पर अडिग भरोसा इन्हीं हत्याओं की खबरों के कारण ही बरकरार है । वैवाहिक व्यवस्था पर विश्वास तब बनेगा जब प्रेमी प्रेमिका द्वारा पति की हत्या करने की बजाय पति पत्नी द्वारा मिलकर प्रेमी की हत्या किए जाने की कोई खबर बाज़ार में सुन लूंगा ।
Sarfarosh Satyam Shukla
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